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अब उत्तराखंड में आडू-पुलम और जड़ी-बूटियों से बनेगी “मेट्रो शराब”, गढ़वाल के साथ पूरे कुमाऊं में भी बिकेगी

अब उत्तराखंड में आडू-पुलम और जड़ी-बूटियों से बनेगी “मेट्रो शराब”, गढ़वाल के साथ पूरे कुमाऊं में भी बिकेगी

पहाड़ी फलों और वनस्पतियों के स्वाद से युक्त उच्च गुणवत्ता युक्त स्प्रिट उत्तराखंड की डिस्टीलरियों में ही बनायी जायेगी। नई आबकारी नीति में नई तरह की शराब की बिक्री की व्यवस्था की गई है। एक्साइज कमिश्नर की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि मेट्रो कोई ब्रांड या कंपनी नहीं है, बल्कि उत्तराखंड में इस शराब को बनाने में लोकल प्रोडक्ट, फल-फूल और जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाएगा, उसे ही मेट्रो नाम दिया गया है। उत्तराखंड में बनने वाली ये शराब सरकारी दुकानों में बिकेगी, जिसकी कीमत विदेशी शराब से कम होगी।

आबकारी आयुक्त के मुताबिक इस कदम से उत्तराखंड में दूसरे राज्यों से आने वाली अवैध शराब पर लगाम लगायी जा सकेगी। इसके साथ ही उत्तराखंड में होने वाले फल सेब, माल्टा, आड़ू, पुलम उगाने वाले किसानों को भी फसल के सही दाम मिल सकेंगे।नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल 2024 को मेट्रो शराब की बिक्री उत्तराखंड के सभी जिलों की सरकारी दुकानों में शुरू होगी, इसके लिए 31 मार्च से पहले राजस्व समेत विभिन्न नियम कायदे तय कर दिए जाएंगे। बता दें कि भारत निर्मित अंग्रेजी शराब की तीव्रता 42.8 होती है। जबकि, देसी शराब 36 और 25 प्रतिशत की तीव्रता की होती है। लेकिन, मेट्रो की तीव्रता 40 प्रतिशत होगी। यानी इसमें एल्कोहल की मात्रा 40 प्रतिशत होती है। हालांकि पहले ये कहा जा रहा था कि जिन जिलों में देसी शराब की बिक्री नहीं होती, वहां इसे देसी का ही विकल्प बनाया जाये। इसके लिए अलग से ठेके नहीं खोले जाएंगे और इसे विदेशी मदिरा दुकानों से ही खरीदा जा सकेगा। मेट्रो शराब फलों और वनस्पतियों के स्वाद से युक्त उच्च गुणवत्ता युक्त स्प्रिट से प्रदेश की डिस्टीलरियों में ही बनेगी। अब नई आबकारी नीति में नई तरह की शराब की बिक्री की व्यवस्था की गई है।

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