उत्तराखंड के ‘आधार’ में गड़बड़झाला ! 106 फीसदी लोगों के बने कार्ड, डेमोग्राफी चेंज की साजिश!
देहरादून। उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. धामी सरकार भी कई बार डेमोग्राफिक चेंज की बात कह चुकी है. साथ ही इस बात पर जोर दे रही है कि प्रदेश का मूल स्वरूप बना रहे, इसके लिए तमाम प्रयास किये जा रहे हैं. इसी क्रम ने धामी सरकार भू कानून में संशोधन कर इस बात का दावा कर रही है कि भू कानून में ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिससे ना सिर्फ डेमोग्राफी चेंज पर बंदिशें लगेंगी, बल्कि प्रदेश के मूल स्वरूप को भी बचाया जा सकेगा. प्रदेश की बदल रही डेमोग्राफी पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं. यहां तक की विपक्षी दलों समेत तमाम सामाजिक संगठन भी मूल स्वरूप को बरकरार रखने के लिए सवाल उठाते रहे हैं. अब आधार कार्ड को लेकर सामने आये आकंड़ों से इस पर फिर से बहस शुरू हो गई है।

अनुमानित जनसंख्या के सापेक्ष 106 फीसदी लोगों के आधार कार्ड बने: देशभर में साल 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है. उत्तराखंड सरकार की ओर से जारी आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अनुमानित जनसंख्या के सापेक्ष 106 फीसदी लोगों का आधार कार्ड बन चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार-
- साल 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है।
- साल 2024 में उत्तराखंड राज्य में अनुमानित कुल जनसंख्या 1,17,45,166 है।
- साल 2024 तक 1,24,60,965 लोगों के आधार कार्ड बन चुके हैं।
- यानी 7,15,799 ज्यादा लोगों के आधार कार्ड बन चुके हैं।
- कुल अनुमानित जनसंख्या के सापेक्ष 106.09 फीसदी लोगों के आधार कार्ड बने हैं।
- अनुमानित जनसंख्या के सापेक्ष 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के सबसे ज्यादा 109.92 फीसदी आधार कार्ड बने हैं।
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